महाकाल की नगरी उज्जैन में कोरोना मृत्युदर राष्ट्रीय औसत से काफी ज्यादा


भगवान शिव के महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग और अन्य धार्मिक स्थलों के चलते मशहूर उज्जैन में रविवार सुबह की स्थिति में कोरोना के मरीजों की मृत्यु दर करीब 19 प्रतिशत दर्ज की गई। यह मृत्यु दर 3.35 प्रतिशत के राष्ट्रीय औसत के साढ़े पांच गुने से भी ज्यादा है।


आधिकारिक जानकारी के मुताबिक, उज्जैन जिले में रविवार सुबह तक कोविड-19 के कुल 237 मरीज मिले हैं। इनमें शामिल एक पुलिस निरीक्षक और एक भाजपा पार्षद समेत 45 मरीजों की मौत हो चुकी है, जबकि 94 लोगों को संक्रमणमुक्त होने पर अस्पतालों से छुट्टी दी जा चुकी है।


उज्जैन में एक भी सरकारी चिकित्सा महाविद्यालय नहीं है और कोविड-19 मरीजों के इलाज का भार निजी क्षेत्र के आरडी गार्डी मेडिकल कॉलेज के 750 बिस्तरों वाले अस्पताल पर है। इसके अलावा, पड़ोसी शहर इंदौर के एक निजी अस्पताल में भी उज्जैन के गंभीर मरीजों के लिये 100 बिस्तर आरक्षित किये गए हैं।


इंदौर में मृतकों की संख्या 89 हुई, 24 घंटे में 78 नए मामले सामने आए


देश में कोरोना वायरस के प्रकोप से सबसे ज्यादा प्रभावित जिलों में शामिल इंदौर में इस महामारी से दो और मरीजों की मौत की पुष्टि की गई है। इसके साथ ही, जिले में इस महामारी की चपेट में आकर दम तोड़ने वाले मरीजों की संख्या बढ़कर 89 पर पहुंच गई है।


सीएमएचओ ने बताया कि जिले में पिछले 24 घंटे के दौरान कोरोना वायरस के 78 और मरीज मिले। इसके बाद इस महामारी की जद में आए लोगों की तादाद 1,780 से बढ़कर 1,858 पर हो गई है। हालांकि, इनमें से 891 मरीजों को इलाज के बाद संक्रमण मुक्त होने पर अस्पतालों से छुट्टी दी जा चुकी है।


ताजा आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि रेड जोन में शामिल इंदौर जिले में रविवार सुबह की स्थिति में कोविड-19 के मरीजों की मृत्यु दर 4.79 प्रतिशत थी।


हालांकि, गुजरे एक महीने के दौरान इस मृत्यु दर में सिलसिलेवार रूप से गिरावट दर्ज की गई है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक नौ अप्रैल की सुबह की स्थिति में जिले में कोविड-19 के मरीजों की मृत्यु दर 10.33 प्रतिशत थी।


इंदौर में कोरोना वायरस का पहला मरीज मिलने के बाद से प्रशासन ने 25 मार्च से शहरी सीमा में कर्फ्यू लगा रखा है, जबकि जिले के अन्य स्थानों पर सख्त लॉकडाउन लागू है।