विश्व की करीब एक तिहाई आबादी लॉकडाउन में है। जबकि कई देशों में लॉकडाउन के बाद भी एक सप्ताह में कम से कम दो से तीन बार दोगुनी रफ्तार से बढ़ रहा है लेकिन भारत में इसकी चाल मंद है। दुनिया के 9 बड़े देशों से भारत की तुलना करें तो कोरोना वायरस के मरीजों की संख्या काफी सीमित दिखाई दे रही है।
स्पेन, यूएस और फ्रांस जैसे देशों में कोरोना वायरस के शुरूआती कुछ केस धीरे-धीरे मिलने के चंद में ही हजार और फिर लाख में तब्दील हो गए। बीते 25 मार्च से देश में 21 दिन के लिए लॉकडाउन लागू है। भारत में लॉकडाउन का तीसरा सप्ताह भी चल रहा है। देश में शुरूआती दो हजार मरीज 63वें दिन में मिले थे, जबकि ठीक तीन दिन यानि 66वें दिन इनकी संख्या बढ़कर 4 हजार से ज्यादा हो चुकी थी।
ठीक इसी तरह यूएस में चार हजार मरीज 60, फ्रांस में 55, इटली में 37, स्पेन में 54 और दक्षिण कोरिया में 42वें दिन चार हजार तक पहुंची थी। फिलहाल इन देशों में 50 हजार से 2.5 लाख तक संक्रमित मरीज सामने आ चुके हैं। साथ ही हजारों लोगों की मौत भी हो चुकी है।
आईसीएमआर के महामारी विशेषज्ञ का कहना है कि कम मरीज मिलने की दो बड़ी वजहें हैं। पहली समय रहते लॉकडाउन और दूसरा पहले दिन से ही सतर्कता। कयास लगाए जा रहे थे कि कम जांच इसलिए कर रहे हैं, ताकि कोरोना के कम मरीज सामने आएं। जबकि हकीकत में ऐसा नहीं है। भारत में आज भी हर किसी को कोरोना जांच कराने की जरूरत नहीं है। ऐसा इसलिए भी क्योंकि ज्यादातर लोगों ने लॉकडाउन के नियमों का बहुत अच्छे से पालन किया है।
एक सप्ताह में कई गुना बढ़े मरीज, कारण तब्लीगी
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि चीन और ईरान में क्रमश: आठवें और 17वें दिन चार हजार मरीज सामने आए थे। भारत में अभी कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या 5734 हो चुकी है। साथ ही 166 मरीजों की मौत भी हुई है, लेकिन अगर लॉकडाउन का असर देखें तो दुनिया के 9 बड़े देशों में भारत की स्थिति काफी बेहतर है। भारत में हम काफी घनी आबादी में रहते हैं। इसके बाद भी हम अन्य देशों की तुलना में काफी सुरक्षित हैं।