- प्रदेश में राज्यसभा की 3 सीटें खाली हो रही हैं, इनमें 1-1 भाजपा और कांग्रेस को मिलना तय, तीसरी सीट के लिए मुकाबला
- भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने कहा- हम जानते हैं कि अभी संख्याबल के हिसाब से भाजपा को एक सीट मिल सकती है
- विधानसभा में इस समय कांग्रेस के 114 विधायक, अन्य निर्दलीय और सपा-बसपा विधायकों का भी समर्थन; 107 भाजपा के सदस्य
- भाजपा प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा ने प्रदेश कार्य समिति की बैठक के बाद राज्यसभा चुनाव के बारे में जानकारी दी।
- भोपाल. मध्य प्रदेश की 3 राज्यसभा सीटों के लिए होने वाले चुनाव में भाजपा आर-पार के मूड में है। रविवार को पार्टी की बैठक के बाद निर्णय लिया गया कि 2 सीटों पर उम्मीदवार उतारे जाएंगे। 2 सीटों के लिए 4 नामों का पैनल दिल्ली केंद्रीय नेतृत्व को भेज दिया गया है। अब 2 उम्मीदवार कौन होंगे, इसका फैसला भाजपा की केंद्रीय चुनाव समिति करेगी। कयास लगाए जा रहे हैं कि होली के बाद नाम की घोषणा हो जाएगी।
- राज्य सभा की तीनों सीटों पर 26 मार्च को चुनाव होना है। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रभात झा, पूर्व केंद्रीय मंत्री सत्यनारायण जटिया का 9 अप्रैल को राज्यसभा में कार्यकाल पूरा हो रहा है। कहा जा रहा है कि इस चुनाव में कमलनाथ सरकार की अग्निपरीक्षा होगी है। कांग्रेस में भी प्रत्याशियों के नामों की घोषणा होना बाकी है।
- रविवार को भाजपा के प्रदेश कार्यालय में प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा की अध्यक्षता में बैठक आयोजित की गई। शर्मा ने बैठक के बाद कहा कि वे जानते हैं कि अभी संख्याबल के हिसाब से भाजपा को एक सीट मिल सकती है। लेकिन, भविष्य में संभावनाओं को देखते हुए पार्टी ने 2 सीटों पर चुनाव लड़ने का फैसला किया है। यानी आने वाले समय में मध्य प्रदेश में चल रहा सियासी ड्रामा और दिलचस्प होने वाला है।
- विष्णुदत्त शर्मा ने अन्य सवालों के जवाब में आरोप लगाते हुए कहा कि राज्य में लोकतंत्र नहीं बचा है। भाजपा विधायकों को पुलिसिया और अन्य कार्रवाईयों के चलते दबाने का प्रयास किया जा रहा है। पुलिस कार्रवाई गुंडागर्दी का प्रतीक है। लेकिन कमलनाथ सरकार को यह जान लेना चाहिए कि हम लोग संघर्ष करके आगे बढ़े हैं और जितना डराने का प्रयास हमें किया जाएगा, हम उतने ही मजबूत होंगे। उन्होंने आरोप लगाया कि कमलनाथ सरकार राज्य के लोगों को लगातार गुमराह करने का कार्य कर रही है।
- मध्य प्रदेश की 230 सदस्यों वाली विधानसभा में इस वक्त 228 सदस्य हैं। 2 विधायकों के निधन के बाद यह सीटें खाली हैं। राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस के 2 प्रत्याशियों को विधानसभा में मौजूदा संख्या बल के हिसाब से 115 विधायकों के मत चाहिए, जिसमें कांग्रेस को निर्दलीय विधायक और मंत्री प्रदीप जायसवाल समेत 2 विधायकों की जरूरत होगी। वहीं, भाजपा को चुनाव में दूसरे प्रत्याशी को जिताने के लिए अपने विधायकों के अलावा 9 अन्य एमएलए के वोटों की आवश्यकता होगी।
- प्रदेश में राज्यसभा की कुल 11 सीटें हैं। वर्तमान में भाजपा के पास 8 और कांग्रेस के पास 3 सीटें हैं। भाजपा के राज्यसभा सदस्य एमजे अकबर, थावरचंद गेहलोत, सत्यनारायण जटिया, प्रभात झा, धर्मेंद्र प्रधान, अजय प्रताप सिंह, कैलाश सोनी और संपत्तिया उइके हैं। कांग्रेस के राज्यसभा सदस्यों में दिग्विजय सिंह, विवेक तन्खा और राजमणि पटेल शामिल हैं।
- राज्यसभा का समीकरण
- विधानसभा में विधायकों की संख्या के आधार पर राज्यसभा सीट का निर्धारण होता है।
- एक राज्यसभा सीट के लिए 58 विधायकों की आवश्यकता होती है।
- मप्र में 2 विधायकों के निधन के बाद खाली हुई सीट के अलावा 228 विधायक हैं।
- विधानसभा में कांग्रेस के पास 115 विधायक हैं। (सरकार में मंत्री 1 निर्दलीय भी शामिल)
- सरकार को अन्य 3 निर्दलीय विधायक, 2 बसपा और 1 सपा विधायक का भी समर्थन।
- कांग्रेस के हिस्से में 115 विधायकों और 6 निर्दलीय के समर्थन से 2 राज्यसभा सीट मिलेंगी।
- भाजपा के पास 107 विधायक हैं। वोटिंग में महज एक सीट ही हिस्से में आएगी।
- 3 कांग्रेस विधायक अभी भी नहीं लौटे भोपाल
- सियासी सरगमियों के कारण चर्चा में आए 3 कांग्रेस विधायक अभी भी भोपाल नहीं लौटे हैं। इन विधायकों में वरिष्ठ आदिवासी नेता एवं पूर्व मंत्री बिसाहूलाल सिंह, हरदीप सिंह डंग और रघुराज कंसाना शामिल हैं। निर्दलीय और सरकार को शुरू से समर्थन देने वाले विधायक सुरेंद्र सिंह शेरा कल दोपहर विमान से यहां पहुंचे थे और उन्होंने दिन में मुख्यमंत्री से मुलाकात की थी। इसके बाद शाम को उनके वापस दिल्ली जाने की खबरें आईं। रविवार को उनके मुंबई में होने की सूचना है।
- शेरा उन 4 विधायकों में शामिल थे, जिन्हें कथित तौर पर बेंगलुरु के रिसाॅर्ट में रखे जाने की चर्चाएं थीं। शेरा ने कल मुख्यमंत्री से मुलाकात के बाद दावा किया था कि वे कमलनाथ सरकार को समर्थन शुरू से देते आ रहे हैं और आगे भी देते रहेंगे। इस बीच कांग्रेस के रणनीतिकार इन 3 विधायकों को भी वापस लाने का प्रयास कर रहे हैं।
- इसके अलावा एक भाजपा विधायक नारायण त्रिपाठी को लेकर भी असमंजस की स्थिति बन रही है। वे हाल के दिनों में 2-3 बार मुख्यमंत्री कमलनाथ और विधानसभा अध्यक्ष एनपी प्रजापति से मुलाकात कर चुके हैं। त्रिपाठी विधानसभा में एक बार कांग्रेस के पक्ष में मतदान भी कर चुके हैं। हालांकि त्रिपाठी का यही दावा है कि उन्होंने मुख्यमंत्री से मुलाकात अपने विधानसभा क्षेत्र मैहर के विकास को लेकर की है।
- दूसरी ओर कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी राज्यसभा चुनाव के लिए अपने प्रत्याशियों के चयन की कवायद कर रही है। राज्यसभा चुनाव के लिए नामांकन पत्र दाखिल करने की अंतिम तिथि 13 मार्च है। इस तिथि तक सभी प्रत्याशियों की ओर से नामांकन पत्र दाखिल किए जाना आवश्यक है।
मप्र / राज्यसभा चुनाव के बहाने आर-पार के मूड में भाजपा; 2 सीटों पर चुनाव लड़ने का फैसला, प्रत्याशियों के लिए 4 नामों का पैनल दिल्ली भेजा